झारखंडी संस्कृति की विरासत है सोहराय जतरा, इसे बचाए रखने की जरूरत है, सोहराय जतरा सभी संप्रदाय को आपस में जोड़ने का भी सशक्त माध्यम है,उक्त विचार झारखण्ड सरकार के वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव चांदनी चौक हटिया में सरना समिति उरांव बस्ती हटिया द्वारा आयोजित सोहराय जतरा में प्रकट किया।इसके पूर्व सोहराय जतरा का उद्धघाटन आज संध्या 5.30 बजे मुख्य अतिथि वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव एवं विशिष्ट अतिथि प्रदेश कांग्रेस कमिटी के वरिष्ठ नेता आलोक कुमार दूबे ने संयुक्त रूप से किया।
जतरा का मुख्य आकर्षण खोड़हा नाच रहा। जतरा में आदि गांव से खोड़हा टीम के सदस्य ढोल नगाड़े के साथ नाचते गाते शामिल हुए। जतारा समिति के द्वारा सभी खोड़हा टीमों को सम्मानित भी किया गया। मेला की शुरुआत यात्रा कोटा में अतिथियों द्वारा जतरा खूंटा में पूजा अर्चना कर की गई। जतरा में सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया।
डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा हमारी संस्कृति बनी रहे,आगे बढ़ती रहे,हम गांव गांव में अखड़ा बनाऐंगे।मांदर,ढ़ोल,नगड़ा,अखड़ा,जतरा टांड़ भी होना चाहिए।हम मुहिम जहां जहां भी अखड़ा है उसे बचाने के लिए। जिससे भी बात करनी होगी हम बात करेंगे।एसटी कमीशन में रहते हुए देशभर में हमने आदिवासियों के अखड़ा बनाने के लिए प्रयास किया, उन्होंने उदाहरण के तौर पर कहा राजधानी रांची में भी डीपीएस स्कूल के समक्ष तत्कालीन स्टील मिनिस्टर स्व रामविलास पासवान से बात कर आरएणडी सेल से अखड़ा के लिए जमीन दिलाने का काम किया।एसटी कमीशन में रहते हुए राउरकेला में 5 एकड़ जमीन सरना समिति को दिलाने का काम किया।सोहराय पशुधन की पूजा है,गांव में हम बचपन मे मनाते थे। सामाजिक व सांस्कृतिक पर्व है सोहराय जतरा।बड़ी खुशी है रांची जैसे शहर में भी आदिवासी समाज अपनी संस्कृति के प्रति जागरूक हैं। सरकार को संरक्षण एवं संवर्धन के लिए आगे आना चाहिए।एचईसी प्रबंधन को चाहिए कि आदिवासी के अखड़ा एवं जतरा टांड़ जमीन जहां-जहां भी है उसे वापस किया जाए।
कांग्रेस नेता आलोक कुमार दूबे ने कहा गोवर्धन पूजा के साथ ही आदिवासियों का सोहराय पर्व प्रारंभ हो जाता है। सोहराय जतरा का संबंध सृष्टि की उत्पत्ति से जुड़ा हुआ है, यह सिर्फ त्यौहार ही नहीं जीवन का दर्शन भी है।सोहराय हमें बताता है कि केवल हमें ही जीने का अधिकार नहीं हैं बल्कि पेड़ पौधे और प्रकृति के साथ ही साथ पशु जो हमारे जीवन का अभिन्न अंग है उसे भी जीने का अधिकार है। जनजाति संस्कृति और चिंतन पेड़ पौधे से लेकर जीव जंतु तक की चिंता करता है।
सोहराय जतरा के आयोजन में समिति के अध्यक्ष सतीश गाड़ी, उपाध्यक्ष जगन्नाथ, सचिव जेकब तिर्की, कोषाध्यक्ष सुरेश उरांव, मनीष पाहन,महेंद्र उरांव, विजय किस्पोट्टा,रोहित तिर्की, लच्छू उरांव, सिकंदर लकड़ा, सुमित तिर्की का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
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