संगीत सिद्धांत के द्वारा नन्हें-मुन्हों में शिक्षण एक उत्कृष्ट विधा है। सीखने-सिखाने की इसी मजेदार तकनीक को जवाहर विद्या मंदिर, श्यामली के पूर्व प्राथमिक कक्षाओं के नौनिहालों द्वारा वर्षिक सांस्कृतिक उत्सव ‘डो-रे-मी : 2024’ दयानंद प्रेक्षागृह में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया
कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच आर के डी एफ विश्वविद्यालय के उप कुलपति श्री शुचितांशु चटर्जी, प्राचार्य श्री समरजीत जाना, विशिष्ठ अतिथि श्रीमती विदिशा जाना के कर-कमलों द्वारा सामूहिक रूप से दीप-प्रज्ज्वलन के द्वारा हुआ। तदुपरांत स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया।
धरती एक माँ की तरह बिना भेद-भाव किए संपूर्ण प्राणी जगत का पोषण करती है और जब मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए विकास के नाम पर इसका विनाश करता है तब प्राकृतिक आपदाएँ आती हैं। इसी थीम को कक्षा यू के जी के नौनिहालों ने ‘प्रकृति का संदेश’ नामक नृत्य-नाटिका द्वारा प्रस्तुत किया और संदेश दिया कि विकास के कार्यों की योजना इस ढंग से तय हो कि प्राकृतिक सुंदरता के साथ धरती का संतुलन भी बना रहे।
कक्षा एल के जी के नन्हे-मुन्हों ने बारिश के गीतों के साथ ‘एक्वारिदम : मशरूम एंड द रेन’ कार्यक्रम पेश किया जहाँ यह बताया गया कि जैसे मशरूम छोटा पौधा होने के बावजूद भी अनेक छोटे-मोटे कीड़े-मकोड़े आदि का आश्रय स्थल बन जाता है, ठीक उसी प्रकार व्यक्ति अपनी दयालुता और उदारता से पूरे समुदाय का विकास कर सकता है। जलीय परिधानों से सज्जित बच्चों की प्रस्तुति से सावन में वर्षा की बूँदों के बीच खिलखिलाता बचपन याद आ गया।
अगली प्रस्तुति ‘द सेल्फिश जाइंट’ नामक नाटक की रही। जिसका सुखद अंत राक्षस के हृदय परिवर्तन से होता है। इस नाटक में बच्चों ने खूबसूरती और संज़ीदगी से अभिनय कर बताया कि प्रकृति का उपहार हर किसी के आनंद लेने और संजोने के लिए है अतः हमें उदार बनकर अपनी खुशियों को अपने साथी प्राणियों के साथ साझा करना चाहिए।
कक्षा 1-2 के बच्चों ने इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप्प, फेसबुक, ट्विटर, एक्स, वीडियो गेम्स आदि बनकर मोबाइल एडिक्शन के गिरफ़्त में पिसते हुए बचपन को बखूबी नृत्य-नाटिका के माध्यम से अभिनीत किया।
इस मंचन ने दर्शकों की खूब वाह-वाही बटोरी।
वहीं ‘पिता मेरी प्रेरणा’ कविता का काव्य-पाठ ने दर्शकों को भाव-विभोर और ‘बूझो तो जाने’ जैसे प्रश्नों ने उपस्थित गणमान्यों को दिमागी कसरत करने पर मजबूर कर दिया।
छात्र और अभिभावक से खचाखच भरे हॉल में 250 छात्रों ने अनोखा और भव्य कार्यक्रम पेश किया जहाँ इन छोटे बच्चों की तोतली और मनमोहक बोली, अभिनय में सरलता, सहजता ने सभी का मन मोह लिया।
मुख्य अतिथि श्री शुचितांशु चटर्जी, विशिष्ट अतिथि श्रीमती विदिशा जाना को पुष्प-गुच्छ देकर सम्मानित किया गया।
मुख्य अतिथि श्री शुचितांगशु चटर्जी वर्षा काल में भी छात्रों के उत्साह व ऊर्जा से भरपूर जीवंत अभिनय प्रदर्शन को देखकर आश्चर्य चकित थे। उन्होंने अभिभावकों के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि बच्चों के ये जीवंत कार्यक्रम हम सबको आगे आने के लिए प्रेरित करती है। हमारा समाज शिक्षा के बिना अधूरा है इसलिए बच्चों को उन्नत शिक्षा मिले इसके लिए समाज के हर सम्पन्न व्यक्ति को शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए आगे आना होगा। तभी देश का भविष्य शिक्षित समाज के हाथों में सुरक्षित रहेगी।
प्राचार्य श्री समरजीत जाना ने कहा कि ‘डो-रे-मी’ जे०वी०एम० की शिक्षा का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है जो नन्हें छात्रों को खुद को अभिव्यक्त करने, अपने मे आत्मविश्वास जगाने और सामाजिक कौशल विकसित करने के अवसर प्रदान करती है। यह पाठ्येतर गतिविधि छात्रों को विभिन्न संदर्भों में कौशल और ज्ञान की एक श्रृंखला विकसित करने में मदद करती हैं और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उनमें सीखने की क्षमता और कला-प्रतिभा को आगे ले जाती है। इस दृष्टि से नन्हें छात्रों का मंच पर प्रदर्शन करना काबिल-ए-तारीफ है।
समारोह का समापन उप्राचार्य श्री संजय कुमार के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। इस मौके विद्यालय के उप प्राचार्य श्री एस के झा, श्री बी एन झा, श्री संजय कुमार, प्रभाग प्रभारी श्रीमती अनुपमा श्रीवास्तव, श्री एस झा सुशील, श्री दीपक कुमार सिन्हा, श्रीमती ममता दास, छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष श्री अमित रॉय, शिक्षक प्रशिक्षण अधिकारी श्री एल एन पटनायक, कार्यक्रम समन्वयिका श्रीमती सुष्मिता मिश्रा व डॉ० मोती प्रसाद समेत शिक्षक- शिक्षिकाएँ, अभिभावक गण तथा मीडियाकर्मी मौजूद थे।