झारखंड राज्य में मुरी रेलवे स्टेशन ,गोमो रेलवे स्टेशन,नीमडीह रेलवे स्टेशन एवं घाघरा रेलवे स्टेशन,ओडिशा राज्य में हरिचन्दनपुर रेलवे स्टेशन ,जराइकेला रेलवे स्टेशन एवं भंजपुर रेलवे स्टेशन में संयुक्त रूप से अनिश्चितकालीन रेल जाम कर दिया गया है वही कोलकाता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल राज्य में खेमासुली रेलवे स्टेशन एवं कुस्तौर रेलवे स्टेशन में होने वाली रेल जाम को रोक लगा दिया है, जिसके कारण पश्चिम बंगाल में आंदोलन को स्थगित कर दिया गया
आज दिनांक 20/09/ 2023 को टोटेमिक कुडमी विकास मोर्चा ने झारखंड राज्य में मुरी रेलवे स्टेशन ,गोमो रेलवे स्टेशन,नीमडीह रेलवे स्टेशन एवं घाघरा रेलवे स्टेशन तथा ओडिशा राज्य में हरिचन्दनपुर रेलवे स्टेशन ,जराइकेला रेलवे स्टेशन एवं भंजपुर रेलवे स्टेशन में दोनों राज्यों में संयुक्त रूप से अनिश्चितकालीन रेल जाम कर दिया है, उक्त बातें टोटेमिक कुड़मी विकास मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष शीतल ओहदार ने कही! उन्होंने कहा कि कुडमी महतो जनजाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने एवं कुडमाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर आगामी 20 सितम्बर 2023 से झारखंड राज्य में मुरी रेलवे स्टेशन ,गोमो रेलवे स्टेशन,नीमडीह रेलवे स्टेशन एवं घाघरा रेलवे स्टेशन, तथा ओडिशा राज्य में हरिचन्दनपुर रेलवे स्टेशन ,जराइकेला रेलवे स्टेशन एवं भंजपुर रेलवे स्टेशन में दोनों राज्यों में संयुक्त रूप से अनिश्चितकालीन रेल टेका आंदोलन शुरू कर दिया गया है, जिसमें हजारों हजार की संख्या में कुड़मी समाज के लोग अपने पारंपरिक वेशभूषा, छऊ नाच, पाता नाच, नटुवा नाच, घोड़ा नाच एवं झूमर नाच, ढोल -नगाड़े एवं गाजे-बाजे के साथ शामिल हुए हैं,कहा कि कुडमी समाज अब जाग चुकी है और अपने हक अधिकार के प्रति सजग हो चुकी है,अब कुडमी समाज अपने संवैधानिक अधिकार के लिए आर पार की लड़ाई लड़ेगा ! उन्होंने कहा कि 18 सितम्बर से 22 सितम्बर तक चलने वाली संसद का विशेष सत्र में कुडमी महतो को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दे केंद्र सरकार, उन्होंने कुडमी समाज के सांसदों को भी कहा कि कुडमी महतो को एसटी की सूची में शामिल करने की मांग को जोरदार तरीके से विशेष सत्र में उठायें, आगे उन्होंने कहा कि 3 मई 1913 को प्रकाशित इण्डिया गजट नोटिफिकेशन नः550 दिनांक 2 मई 1913 में कुडमी जनजाति को एवोरिजनल एनिमिस्ट मानते हुए छोटानागपुर के कुड़मियो को अन्य आदिवासियों के साथ भारतीय उत्तराधिकारी कानून 1865 के प्रावधानो से मुक्त रखा गया तथा 16 दिसम्बर 1931को प्रकाशित बिहार -उड़िसा गजट नोटिफिकेशन नः 49 पटना मे भी साफ साफ उल्लेख किया कि बिहार -उड़िसा मे निवास करने वाले मुण्डा, उरांव, संथाल, हो, भुमीज, खड़िया, घासि, गौंड, कांध, कौरआ, #कुड़मी, माल सौरिआ और पान को प्रिमिटिव ट्राइव मानते हुए भारतीय उत्तराधिकारी कानून 1925 से मुक्त रखा गया , कुड़मी जनजाति को सेन्सस रिपोर्ट 1901के भोल्यम (1)मे पेज 328-393 मे, सेन्सस रिपोर्ट 1911के भोल्यम (1)मे पेज 512 मे, तथा सेन्सस रिपोर्ट 1921के भोल्यम (1) पेज 356-365 मे स्पष्ट रूप में कुड़मी जनजाति को अवोरिजनल एनिमिस्ट के रूप में दर्ज किया गया, पटना हाई कोर्ट के कई जजमेंट में भी कुडमी को जनजाति माना है, इसके अलावे बहुत सारे दस्तावेज होने के बावजूद कुड़मी जनजाति को अनुसूचित जनजाति के सूची से बाहर रखा गया है, जिसके कारण आज यह जनजाति अन्य सभी जनजातियों से रोजगार शिक्षा के साथ-साथ राजनैतिक भागीदारी में अंतिम पायदान पर चला गया है, उन्होंने कहा कि रेल टका आंदोलन ऐतिहासिक होगा ! आदिवासी कुडमी समाज के केंद्रीय प्रवक्ता हरमोहन महतो ने कहा कि कुड़मि जनजाति का जो सामाजिक, सांस्कृतिक और मानवीक क्षति हो चुकी है उसकी तो भरपाई ही संभव न हो पायेगी, उन्होंने कहा कि कुडमी आदिकाल से आदिवासी था,है और आगे भी रहेगा, उन्होंने कहा की केंद्रीय जनजातिय मंत्री अर्जुन मुंडा कुडमी समाज के साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं, उन्होंने मुख्यमंत्री रहते 2004 में कुड़मी जनजाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में सूचीबद्ध करने की अनुशंसा केंद्र सरकार को कर चुके हैं। अब वे केंद्र सरकार में जनजातीय मंत्री हैं उन्हें कुड़मीयों की इतिहास ज्ञात है इसके बाद भी वे हमें अधिकार से वंचित कर रहे हैं। जबकि देशभर के 16 जातियों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल कर दिए जिनका कभी जनजातीय इतिहास ही नहीं रहा है, मुंडा जी के पक्षपात रवैया से अब कुड़मी समाज बर्दाश्त नहीं करेगा!
भवदीय
शीतल ओहदार
( अध्यक्ष)
मो.- 9334717429
आंदोलन समाप्त होने की भी खबर आ रही है..!
नोट : 25 सितम्बर को मुख्य सचिव से वार्ता होगा लिखित आश्वासन के बाद आंदोलन समाप्त किया गया..!
2 octobar को गृह सचिव भारत सरकार से भी वार्ता होगा..!