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Thursday, September 19, 2024
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कंजक्टिवाइटिस यानी आई फ्लू बहुत तेजी से फैल रहा है, क्या है ये…?

कंजक्टिवाइटिस यानी आई फ्लू आज हमारे घर और आस पास लोगो में बहुत तेजी से फैल रहा है, ये बहुत तेजी से फैलने वाला संक्रमण है, अगर किसी घर में के व्यक्ति कंजक्टिवाइटिस यानी आई फ्लू हो हुआ है तो घर के अन्य सदस्य को भी होने की संभावना ज्यादा हो जाती है, बच्चे भी संक्रमण से प्रभावित हो रहे है. जानते है आई लिए क्या है, ये कितने प्रकार का होता है और इससे बचाव कैसे किया जाए…..

हमारे राज्य झारखंड बिहार समेत पूरे देश में यह इन्फेक्शन तेजी से फैलने लगा है. ऐसा समय समय पर सालो साल से होता आया है. अब तक हमने अपने जीवन में कई बार ऐसा देखा है. इसे अलग अलग जगह में अलग अलग नाम से बोला और जाना जाता है जैसे कही इसे आंख आना कहते हैं, बंगला आना कहते है तो कही रेड आईज के नाम से जाना जाता है. इसकी रोकथाम और इस बीमारी से बचाव को लेकर स्वास्थ्य विभागों ने एडवाइजरी जारी की है
बता दें, आई फ्लू या ‘कंजक्टिवाइटिस, कंजंक्टिवा (आंखों के सफेद हिस्से) की सूजन है. यह आंखों के सफेद हिस्से के साथ आंखों के पलकों के अंदर को ढकने वाली एक पलती और पारदर्शी परत को खासा प्रभावित करता है. इसे काफी संक्रमक माना जाता है. यह तेजी से फैलने वाली बीमारी है. खासकर भीड़-भाड़ वालें जगहों पर और बच्चों पर यह संक्रमण बहुत जल्द फैलता है. इन दिनों आई फ्लू संक्रमण काफी तेजी से भारत में फेल रहा है.

आई फ्लू के पांच प्रकार और उससे बचने के तरीके

वायरल कंजक्टिवाइटिस

यह सबसे आम प्रकार का वायरल कंजक्टिवाइटिस है, यह काफी संक्रामक होता है और किसी भी संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने से और दूषित सतहों को छूने से तेजी से फैलता है. साथ ही आंखों का लाल होना, पानी निकलना और आंखों में खुजली होना इसके मुख्य लक्षण है. इसके लिए कोई विशेष इलाज नहीं है यह 1 से 3 हफ्ते के अंदर अपने आप ही ठीक हो जाता है. लेकिन चिकित्सक वायरल कंजक्टिवाइटिस के लिए आई ड्रॉप्स सजेस्ट कर सकते हैं.

बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस

बैक्टीरिया के कारण बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस होता है और इसमें आंखों का लाल होना, पानी निकलना और आंखों में जलन या चुभन होना आम बात है. यह भी आई फ्लू से संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने या फिर उसके साथ चीजें शेयर करने से फैल सकता है. इसके इलाज में एंटीबायोटिक आई ड्रॉप दी जाती है. इस बैक्टीरिया से बचने या इसे रकने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं की पूरी डोज लेनी जरूरी होती है.

जाइंट पैपिलरी कंजंक्टिवाइटिस

यह काफी कॉमन रूप है जिसमें आंखों की पल कम सामान्य रूप है, जिसमें पलकों की भीतरी सतह पर पैपिला (उभार) बन जाते हैं. यह अक्सर कॉन्टैक्ट लेंस या ऑक्यूलर प्रोस्थेटिक्स के लंबे समय तक उपयोग के कारण होता है. लक्षणों में खुजली, लाल होना और कॉन्टैक्ट लेंस पहनते समय परेशानी होना शामिल है. उपचार में लेंस को पहनना बंद करना और सूजन को कम करने के लिए दिया गया आई ड्रॉप डालना है.

एलर्जी कंजक्टिवाइटिस

एलर्जी कंजक्टिवाइटिस धूल के कण, पालतू जानवरों की रूसी (डैंड्रफ) या फिर कुछ रसायनों जैसे एलर्जी की वजह से होती है हालांकि यह अधिक संक्रामक नहीं है लेकिन इससे दोनों आंख प्रभावित होती हैं, जिसके कारण आंखों का लाल होना, चुभन होना और तेज खुजली का होना इसके मुख्य संकेत हैं. इसके संपर्क से बचने और एंटीहिस्टामाइन आई ड्रॉप का उपयोग करने से काफी आराम मिल सकता है.

कैमिकल कंजक्टिवाइटिस

उत्तेजक पदार्थों या कैमिकल के संपर्क में आने से कैमिकल कंजक्टिवाइटिस होता है. यह स्विमिंग पूल के पानी में मिला क्लोरीन, धुआं या फ्लोर से निकलने वाली गैस से हो सकती है. आंखें लाल होना, दर्द और पानी निकलना इसके लक्षणों में शामिल है. यदि ये लक्षण आपको है तो आप अपनी आंखों को तुरंत साफ पानी से धोएं और शीघ्र डॉक्टर से मिले. क्योंकि ऐसे कैमिकल आंखों को काफी हद तक नुकसान पहुंचा सकता हैं.

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