कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सेना भी शामिल थी । हांलाकि पाकिस्तान हमेशा से इस बात को लेकर इनकार करता रहा है । लेकिन युद्ध के दौरान और बाद में ऐसे कई तथ्य सामने आए हैं जो ये साबित करने के लिए काफी थे कि पाकिस्तानी सेना ने घुसपैठियों की मदद की थी ।
कारगिल की ऊंची चोटियों को पाकिस्तान के कब्जे से का आजाद करवाते हुए बलिदान देने वाले देश के वीर सपूतों की याद में हर साल कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है । कारगिल विजय दिवस हर साल 26 जुलाई को 1999 में कारगिल युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत के उपलक्ष्य में मनाया जाता हैं।
युद्ध के दौरान , भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ दिया और ‘ऑपरेशन विजय ‘ के हिस्से के रूप में टाइगर हिल और अन्य चौकियों पर कब्जा करने में सफल रही ।
लद्दाख के कारगिल में 60 दिनों से अधिक समय तक पाकिस्तानी सेना के साथ लड़ाई जारी रही और अंत में भारत को इस युद्ध में जीत हासिल हुई। हर साल हम इस दिन पाकिस्तान द्वारा शुरू किए गए युद्ध में शहीद हुए सैकड़ों भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देते है। भारतीय सशस्त्र बलों के योगदान को याद करते हुए देशभर में कई कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। 1971 के भारत – पाक युद्ध के बाद से दोनों देशों के बीच कई सशस्त्र युद्ध हुए हैं । 1998 में दोनों देशों द्वारा परमाणु परीक्षण किए गए । लाहौर घोषणा में कश्मीर समस्या के शांतिपूर्ण समाधान का वादा किया गया था , जिस पर दोनों देशों ने स्थिति को शांत करने के लिए फरवरी 1999 में हस्ताक्षर किए थे । नियंत्रण रेखा के पार भारतीय क्षेत्र में पाकिस्तानी घुसपैठ को ऑपरेशन बद्र नाम दिया गया था । इसका उद्देश्य भारत को कश्मीर विवाद को निपटाने के लिए मजबूर करते हुए कश्मीर और लद्दाख के बीच संबंध तोड़ना था ।
भारत सरकार ने इसके जवाब ‘ ऑपरेशन विजय ‘ शुरू किया और लगभग दो महीने की लंबी लड़ाई के लिए 2 लाख भारतीय सैनिकों को जुटाया । यह युद्ध मई और जुलाई 1999 के बीच जम्मू – कश्मीर के कारगिल जिले में हुआ था । माना जाता है कि उस समय पाकिस्तान की सेना के प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को सूचित किए बिना युद्ध की योजना बनाई थी
लोकल चरवाहों की खुफिया जानकारी ने की मदद की
शुरुवात में पाकिस्तान ने कश्मीर भारतीय नियंत्रण वाले इलाकों पर अपना कब्जा कर लिया। युद्ध के दूसरे चरण में, भारत ने पहले रणनीतिक परिवहन मार्गों पर कब्जा करके जवाब दिया । भारतीय सेना स्थानीय चरवाहों द्वारा प्रदान की गई खुफिया जानकारी के आधार पर आक्रमण के बिंदुओं की पहचान करने में सक्षम थी । अंतिम चरण में , भारतीय सेना ने भारतीय वायुसेना की मदद से जुलाई के अंतिम सप्ताह में युद्ध का समापन किया ।
कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सेना भी शामिल थी । हांलाकि पाकिस्तान हमेशा से इस बात को लेकर इनकार करता रहा है । www.pprliveindia.com लेकिन युद्ध के दौरान और बाद में ऐसे कई तथ्य सामने आए हैं जो ये साबित करने के लिए काफी थे कि पाकिस्तानी सेना ने घुसपैठियों की मदद की थी । बता दें कि नवाज शरीफ ने अमेरिका से सहायता के लिए वाशिंगटन तक की यात्रा भी की थी । लेकिन उस समय अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने पाकिस्तान की मदद करने से इनकार कर दिया था ।
भारतीय सेना द्वारा विजय घोषित
26 जुलाई 1999 को सेना ने मिशन को सफल घोषित किया । लेकिन जीत की कीमत ज्यादा थी। कैप्टन विक्रम बत्रा कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए वीर जवानों में से एक थे । बत्रा को मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च वीरता सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया । हाल ही में विक्रम बत्रा के जीवन पर आधारित शेरशाह नाम की एक फिल्म बनी थी ।
ब्रॉक चिशोल्म ने प्रसिद्ध रूप से कहा , ‘कोई भी युद्ध नहीं जीतता । नुकसान के विभिन्न स्तर होते हैं , लेकिन कोई भी जीतता नहीं है । ‘ कारगिल युद्ध के परिणाम विनाशकारी थे । बहुत सी माताओं और पिताओं ने अपने बेटों को खोया और भारत ने बहुत से बहादुर सैनिकों को खो दिया । कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के 527 सैनिक शहीद हुए जबकि पाकिस्तान के 357 सैनिकों ने अपनी जान गंवाई । इस युद्ध में 453 आम नागरिकों की भी मौत हुई थी ।